मैने अपनी बचपन मे बहुत स्ट्रगल किया है, मेरा बचपन जब मे चौथी क्लास मे पड़ता था तब में स्कूल छोड़ दी थी, तब से आज तक मे कभी भी सक्सेस आदमी नही बन पाया, एक तो ममी पापा की भी गलती रही, की उन्होंने मुझे नहीं पढाया लिखया, आज मे सोचता हु की काश पढ़ लिख लिया होता? पर कहते है न जो किस्मत मे होता है वही मिलता है तभी मे आज अपने बच्चो को भी कहता हु पढ़ो लिखो स्कूल जाओ क्योकि अभी तुम्हारा बचपन है जब तुम बड़े हो जाओगे तो तुम्हे पता चलेगा फिर तुम्हे मेरी कही हुई बाते याद आयेगी तब तुम कहोगे पापा ठीक कहते थे, अब मे तुम्हे मेरी बचपन के दोस्त के बारे मे बताता हु।
रमेश मेरे बचपन का दोस्त
रमेश जो मेरा बचपन का दोस्त था इतना सरारति था की पूछो ही मत पर पढ़ने मे बहुत तेज था कहता था जब मे बड़ा होऊंगा तो डॉक्टर बनूँगा, वो दिन भी का दिन थे एक दिन हम क्रिकेट खेल रहे थे जब वो बोल करा रहा था तो हसने लगा और कहने लगा मुझे भाई तेरे से कुछ नही होने वाला बल्ला देख कैसे पकडा हुआ है तूने फिर मे भी जोर जोर से हसने लगा क्यो की सच मे मेने बल्ला उल्टा पकडा हुआ था, जब हम घूमने जाते थे तो साथ जाते थे और बहुत मजे करते थे चोमिन मोमो खाते थे खेलते थे मौज मस्ती करते थे, वक्त का पता ही नही चलता था कब निकल जाता था एक दिन की साधु बाबा मिले कहने लगे बेटा हम दोनों ने उनको प्रणाम किया, वो बोलने लगे जीते रहो तुम मेसे की एक बहुत आगे जायेगा बोले और चले गए, पर उन साधु बाबा की बाते मेरे समझ मे आ चुका था पर उसने उस बात पर गोर नही किया आज वो डॉक्टर है और मे एक किसान पर मे ये कहूंगा उसने मेहनत भी बहुत की और उसके किस्मत ने भी उसका साथ दिया, पर सबसे मैन होता है परिवार उसका परिवार उसको बहुत मदत करते थे तभी तो वो डॉक्टर बन पाया।
माता पिता और बच्चो को कुछ बात ध्यान मे रखना चाहिए
- बच्चे माता पिता के लिए अनमोल रतन होते है
- अच्छे बच्चो को हमेसा अच्छे बच्चो के साथ दोस्ती करनी चाहिए
- पड़ाई से नफरत नही करनी चाहिए
- पढाई सबसे बड़ा ज्ञान का खजाना है
- बच्चो को हमेसा बड़ों की बात मान्नी चाहिए
- बड़ों को भी बच्चो को अच्छी अच्छी बाते समझानी चाहिए
मेरा बचपन का प्यार और शादी
दोस्तो मेने बचपन मे एक लड़की से प्यार किया था जिसका नाम अमृता था पर मे कहने से डरता था की मे तुमसे प्यार करता हु धीरे धीरे हम बड़े होते गए और हम समझ आने लगा स्कूल मे पढाई कंप्लीट हो चुकी थी फिर हम पिकनिक बनाने हिमाचल गए वो दिन था जो मेने अपनी दिल की बात उसको बतानी थी, फिर हम बस मे ट्रैवल करते करते हिमाचल पहुँच गए पिकनिक का टूर कर जंगल मे था हमने जंगल मे बहुत सारी लकड़ियाँ इकठा किया ताकि रात होने पर हम जंगल मे मस्ती कर सके धीरे धीरे रात हुई और हम बैठ गए और नजाने कहा से इतना होसला आया की मैंने अपनी दिल की बात अमृता को बता दी, मुझे डर भी लग रहा था कही वो नाराज न हो जाए फिर क्या था सारे मेरे दोस्त लोग हसने लगे मुझे क्या पता था की अमृता भी मुझे उतना ही प्यार करती है उसने भी एझार कर लिया तब क्या था दिन रात बस फोन मे बिजी तभी तो कहते है आधा अधूरा काम भी पुरा न हो सका प्यार करो पर लिमिट मे रेह कर, तब मेने थान लिया अब तो शादी कर लूंगा फिर क्या था शादी कर ली और दो रोटी कामा रहे है एक रोटी वो खाती है और एक मे केसी लगी मेरी बचपन की यादे कॉमेंट करके जरूर बताये।


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